Wednesday, 20 March 2013

मैं घर का आँगन
तेरी यादों से महकाये रखता हूँ
जिससे तेरे होने का एहसास मुझे
तेरी बांहों के घेरे की तरह घेरे रखता है
...................आनंद विक्रम ..............

2 comments:

विभा रानी श्रीवास्तव said...

सुन्दर ख्याल !
शुभकामनायें !!

आनन्द विक्रम त्रिपाठी said...

उत्साहवर्धन टिप्पणी के लिए आभार मैम |