मैं घर का आँगन
तेरी यादों से महकाये रखता हूँ
जिससे तेरे होने का एहसास मुझे
तेरी बांहों के घेरे की तरह घेरे रखता है
...................आनंद विक्रम ..............
तेरी यादों से महकाये रखता हूँ
जिससे तेरे होने का एहसास मुझे
तेरी बांहों के घेरे की तरह घेरे रखता है
...................आनंद विक्रम ..............
2 comments:
सुन्दर ख्याल !
शुभकामनायें !!
उत्साहवर्धन टिप्पणी के लिए आभार मैम |
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