मैं और शब्द
तुम्हारे जाने के बाद
मेरे पास है क्या
सिवाय शब्दों के
उन्हीं से
शाम होते ही
बात किया करता हूँ
कभी तुम्हारा नाम लिखता हूँ
कभी तुम्हारे बारे में
रात यूं ही गुजर जाती है
और दिन कामों में
एक मैं ही नहीं
और भी बहुत से साथी हैं
जो शब्दों में
अपनी अधूरी पूरी भावनाओं को
आकार देतें हैं
अब तो मेरे यही साथी हैं
तुम्हारे जाने के बाद
शाम होते ही
शब्दों के शब्द कोष
पास रख लेता हूँ
और भांति भाँती शब्दों के आकार में
तुम्हारे नाम की अल्पना
बनाया करता हूँ ।
4 comments:
गहन अनुभूति
सुंदर रचना
उत्क्रष्ट प्रस्तुति
शब्दों के शब्द कोष
पास रख लेता हूँ
और भांति भाँती शब्दों के आकार में
तुम्हारे नाम की अल्पना
बनाया करता हूँ ।
बहुत खूब ! खुबसूरत अभिव्यक्ति
हार्दिक शुभकामनायें
भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना भी दुरूह कार्य आपने आसानी से किया.
बधाई.
प्रेम की अनुभूति शब्दों से ही उतरती है
वाकई शब्द ही हैं जो यादों को लिख रहें हैं
सुंदर रचना
आग्रह है इसे भी पढें
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
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