Wednesday, 13 March 2013

गली से गुजरा है कोई दोस्त बहुत दिनों बाद
पता तो करो अब तलक कहाँ कसीदे पढ़ते रहे
बात भी करतें हैं तो दो टूक में ही ख़त्म
ऐसा क्या हुआ कि मोहब्बत गिला कुछ भी नहीं
.....................आनंद  विक्रम ...........

2 comments:

विभा रानी श्रीवास्तव said...

गली से गुजरते दोस्त को होगा कोई गिल़ा ......
शुभकामनायें !!

आनन्द विक्रम त्रिपाठी said...

उत्साहवर्धन टिप्पणी के लिए आभार मैम |