इस रक्षाबंधन पर हमारी दीदी को अपनी पुरानी कविता
हर क्लास में अव्वल नम्बर
देर रात को सोनें वाली
सुबह देर से जगती अक्सर
पढाई में रूचि रखने वाली
पहनें चश्मा आँखों पर
गीत सुरों में गाने वाली
राग अलापती मध्यम स्वर
कभी -कभी हड्कानें वाली
कभी सुनाती प्यार का सुर
हम सबकी बहना भोली भाली
बस लगता उसकी डाट से डर
अच्छी चाय पिलाने वाली
कभी पिलाती हिन्दी का चैप्टर
सुस्वाद भोजन पकानें वाली
सब्जी में आलू और परवल
हिटलर की सी हाईट वाली
दिल की अच्छी चेहरा सुन्दर
गाड़ी से चलने वाली
फैशन में भी हमसे ऊपर
दीदी हमारी चश्में वाली
घर की नाक घर का सर
हर काम में हाथ बटानें वाली
हर क्षेत्र में अव्वल नम्बर ।
दीदी हमारी चश्में वाली
दीदी हमारी पढ़नें वालीहर क्लास में अव्वल नम्बर
देर रात को सोनें वाली
सुबह देर से जगती अक्सर
पढाई में रूचि रखने वाली
पहनें चश्मा आँखों पर
गीत सुरों में गाने वाली
राग अलापती मध्यम स्वर
कभी -कभी हड्कानें वाली
कभी सुनाती प्यार का सुर
हम सबकी बहना भोली भाली
बस लगता उसकी डाट से डर
अच्छी चाय पिलाने वाली
कभी पिलाती हिन्दी का चैप्टर
सुस्वाद भोजन पकानें वाली
सब्जी में आलू और परवल
हिटलर की सी हाईट वाली
दिल की अच्छी चेहरा सुन्दर
गाड़ी से चलने वाली
फैशन में भी हमसे ऊपर
दीदी हमारी चश्में वाली
घर की नाक घर का सर
हर काम में हाथ बटानें वाली
हर क्षेत्र में अव्वल नम्बर ।
3 comments:
gud poem having true feeling about ur sister.
please setting mai jakar word varification ko hata dijy..
arey wah anand ji aisi hi to kuch meri di bhi hn.,."comment kaam ke de jati aksar..."
धन्यवाद बहन ,ब्लॉग के मामले में थोड़ा नया हूँ इसलिये कुछ दिक्कत हो रही है ।व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहा हूँ ।
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