मुझे आती है
तुम्हारी याद
मगर क्या करुॅ
सख्त हूॅ ऊपर से
भाव बाहर नहीं छलकते
तुम देख नहीं पाते
प्यार बहुत है
कहना नहीं आता
शब्द
पुराने गमों की पीड़ा में
कहीं गुम हो गये
सो कह नहीं पाते
जब भी दूर होकर
कभी सोचोगे मुझे
करीब आओगे मेरे
तब देखना
धड़कने दिल की
कैसे धड़कती है
तुम्हारे प्यार में
......आनन्द विक्रम
तुम्हारी याद
मगर क्या करुॅ
सख्त हूॅ ऊपर से
भाव बाहर नहीं छलकते
तुम देख नहीं पाते
प्यार बहुत है
कहना नहीं आता
शब्द
पुराने गमों की पीड़ा में
कहीं गुम हो गये
सो कह नहीं पाते
जब भी दूर होकर
कभी सोचोगे मुझे
करीब आओगे मेरे
तब देखना
धड़कने दिल की
कैसे धड़कती है
तुम्हारे प्यार में
......आनन्द विक्रम
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