Monday 15 December 2014



मुझे आती है
तुम्‍हारी याद
मगर क्‍या करुॅ
सख्‍त हूॅ ऊपर से
भाव बाहर नहीं छलकते
तुम देख नहीं पाते
प्‍यार बहुत है
कहना नहीं आता
शब्‍द
पुराने गमों की पीड़ा में
कहीं गुम हो गये
सो कह नहीं पाते
जब भी दूर होकर
कभी सोचोगे मुझे
करीब आओगे मेरे
तब देखना
धड़कने दिल की
कैसे धड़कती है
तुम्‍हारे प्‍यार में
......आनन्‍द विक्रम

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