Friday 1 August 2014

मिन्नतें और मन्नतें
अब पूरी भी हों
न भी पूरी हों
तो ज़िन्दगी का काम
चल जायेगा
अब तो ज़िन्दगी के
उस मुहाने पर खड़ा हूँ
जहां खड़ा हूँ
वहीँ से बढ़ना है
अब वर्षों पुरानी
जो कि बड़ी हसरतों से
मांगी मिन्नतें और मन्नतें
अब पूरी भी हों
न भी पूरी हों
तो क्या फायदा
हाजमा ही तो ख़राब होगा
और अब इस राह में
भला क्या बाकी रहा
ये पूरी हों या न हों
पुरानी मिन्नतें और मन्नतें
तुझसे शिकायत तो रहेगी ज़िन्दगी 

…………आनन्द विक्रम त्रिपाठी…………

2 comments:

विभा रानी श्रीवास्तव said...

आपकी सारी मिन्नतें और मन्नतें पूरी हो जल्द
आमीन
स्नेहाशीष

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

सही कहा ...अब इस मुहाने पर मिन्नतें पूरी होना न होना कोई मायने नही रखता पर कसक तो बनी रहती है .. तड़प भी .. पर बढ़ना तो यही से है..खूब ..