Saturday 23 November 2013

कभी बहुत प्यार आता है
क्यों आता है पता नहीं
कभी बहुत प्यारा लगता है
क्यों लगता है पता नहीं
कभी उस पर जान देने को करे जी
क्यों होता है पता नहीं
कभी देखकर उसे
जी भरकर रोने को जी करे
क्यों करे पता नहीं
कभी लगे वो यूं ही बैठा रहे
मैं देखा करूँ
क्यों होता है पता नहीं
............आनंद विक्रम

1 comment:

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

सुन्दर भाव सम्प्रेषण बधाई :)