आज़ादी
देश को आज़ादी तो मिली
क्या देश के लोगों को आज़ादी मिली ?
कितने लोगों को मिली ?
वही जो आज़ादी के पहले आज़ाद थे !
इससे बेहतर तो पहले ही थे
कम से कम
एक चीज तो सबके पास थी
देश की आज़ादी का गम
उसके लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा
देश को आज़ादी तो मिली
काहे की आज़ादी ?
देश और देश की बहू बेटियों की इज्जत लूटने की आज़ादी
ऐसी आज़ादी से बेहतर तो गुलामी भली
देश को आज़ादी तो मिली
क्या देश के लोगों को आज़ादी मिली ?
कितने लोगों को मिली ?
वही जो आज़ादी के पहले आज़ाद थे !
इससे बेहतर तो पहले ही थे
कम से कम
एक चीज तो सबके पास थी
देश की आज़ादी का गम
उसके लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा
देश को आज़ादी तो मिली
काहे की आज़ादी ?
देश और देश की बहू बेटियों की इज्जत लूटने की आज़ादी
ऐसी आज़ादी से बेहतर तो गुलामी भली
देश को आज़ादी तो मिली
क्या देश के लोगों को आज़ादी मिली ?
………… आनंद विक्रम >
3 comments:
अगर सब सच में परेशान हैं
बदलाव लाना चाहते हैं
तो
सामूहिक वहिष्कार करें ना
हम इस बार के चुनाव का
केवल कागज काला करने से कुछ नहीं होगा
ये सब समझते हैं
~~
God Bless U
वाह !!! बहुत सुंदर रचना,,,
RECENT POST : पाँच( दोहे )
देश को आज़ादी तो मिली
क्या देश के लोगों को आज़ादी मिली ?
अब सचमुच गंभीरता से सोचने और सक्रिय होने का समय है...
न कि सहते रहने का ।
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हमें ही हल निकालना है अपनी मुश्किलात का
जवाब के लिए किसी सवाल को तलाश लो
लहू रहे न सर्द अब उबाल को तलाश लो
दबी जो राख में हृदय की ज्वाल को तलाश लो
चुनाव का बहिष्कार आत्मघात है !
आदरणीय आनंद विक्रम जी
कविता के माध्य्म से विचारणीय पक्ष रखने के लिए आभार !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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