यकीं
मैं तुम
तुम मैं
कब हो गए
हम
न मुझे
और न ही तुम्हे
एहसास हुआ
अब इस रिश्ते की
हिफाजत ही
अपने प्यार की
पहली और आखिरी
शर्त होगी
अगर हो मंजूर तो
कुछ कहो नहीं
आँखों से बोलो
कही बात पर विश्वास नहीं
आँखों और दिल की बात पर
यकीं करता हूँ
अगर हो मंजूर तो
देखो मेरी आँखों में ।
.......आनंद विक्रम .......
5 comments:
why Untitled ?
God Bless U ......
कही बात पर विश्वास नहीं
आँखों और दिल की बात पर
यकीं करता हूँ
उम्दा अभिव्यक्ति ......
सुंदर अभिव्यक्ति
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आँखों और दिल की बात पर
यकीं करता हूँ
अगर हो मंजूर तो
देखो मेरी आँखों में ।
क्या बात है,बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,
RECENT POST: गर्मी की छुट्टी जब आये,
बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
मेरे ब्लॉग पर भी आइयेगा |
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