Friday 10 February 2017

लौटने को बेताब हूॅ
उम्र की उन गलियों में
बहुत पीछे जो छूट गयीं
अजनबी  मिलता है तो
कुछ पल को
बहुत छोटा हो जाता हूॅ
खो जाता हूॅ
उम्र की उन गलियों में
बहुत पीछे जो छूट गयीं
@anandvt

2 comments:

कविता रावत said...

सच है उम्र बढ़ने पर बहुत कुछ पीछे छूट जाता है

आनन्द विक्रम त्रिपाठी said...

ब्लॉग टिप्पणी हेतु आभार