Friday 1 August 2014

यूँ मिलना तो
जनता हूँ होगा नहीं
कभी आ जाओ ख्यालों में
शिकायत बहुत सी है
जो तुमसे करनी है
कभी जब बुलाया
तुम आये नहीं
कभी कुछ सवाल
मन में रहे
कभी जी चाहा
करें प्यार की बाते
प्यार मन में ही रह गया
मुट्ठियाँ भींच के रह गया
किस्मत पर
भला उसका क्या दोष
जब नियती में लिखा था यही
कभी आ जाओ ख्यालों में
बाते बहुत सी हैं

.... आनन्द विक्रम त्रिपाठी

1 comment:

विभा रानी श्रीवास्तव said...

आपकी अरज की सुनवाई जल्द हो दुआ करुँगी
स्नेहाशीष