Monday 22 April 2013

यकीं  


मैं तुम
तुम मैं
कब हो गए
हम
न मुझे
और न ही तुम्हे
एहसास हुआ
अब इस रिश्ते की
हिफाजत ही
अपने प्यार की
पहली और आखिरी
शर्त होगी
अगर हो मंजूर तो
कुछ कहो नहीं
आँखों से बोलो
कही  बात पर विश्वास नहीं
आँखों और दिल की बात पर
यकीं करता हूँ
अगर हो मंजूर तो
देखो मेरी आँखों में ।
.......आनंद विक्रम .......

5 comments:

विभा रानी श्रीवास्तव said...

why Untitled ?
God Bless U ......

विभा रानी श्रीवास्तव said...

कही बात पर विश्वास नहीं
आँखों और दिल की बात पर
यकीं करता हूँ
उम्दा अभिव्यक्ति ......

Jyoti khare said...


सुंदर अभिव्यक्ति
उत्कृष्ट प्रस्तुति

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

आँखों और दिल की बात पर
यकीं करता हूँ
अगर हो मंजूर तो
देखो मेरी आँखों में ।
क्या बात है,बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,

RECENT POST: गर्मी की छुट्टी जब आये,

Madan Mohan Saxena said...

बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
मेरे ब्लॉग पर भी आइयेगा |