Thursday 28 February 2013

ज़िन्दगी की तंग राहों में
कभी सीधे न चल सके
जब भी चलने की कोशिश की
कभी सर झुकाना पड़ा
तो कभी हाथ तंग किये
कभी संस्कारों को दरकिनार करना पड़ा
तो कभी धर्म की दुहाई देनी पड़ी
.........anand vikram.....

5 comments:

रचना दीक्षित said...

जिंदगी में हर पल कोई न कोई दुश्वारी हमें चुनौती देती है. सुंदर भावपूर्ण कविता.

रचना दीक्षित said...

आपके ब्लॉग को ज्वाइन कर रही हूँ. धन्यबाद.

आनन्द विक्रम त्रिपाठी said...

उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद । 'विक्रम' ब्लॉग पर उपस्थिति के लिए आपका आभार ।

शिवनाथ कुमार said...

तंग राहों में सीधा चलना एक इम्तिहान ही है ,,,,,
बहुत ही बढ़िया !

Recent Post :आखिर कब ?

आनन्द विक्रम त्रिपाठी said...

शिवनाथ जी 'विक्रम' ब्लॉग पर स्वागत है |