भीड़ में हूँ
फिर भी तनहा हूँ
है सभी साथ दोस्त
फिर तनहा हूँ
बेतहाशा दर्द के मानिंद
हैं तनहाइयाँ मेरी
राह चलता हूँ
सफ़र में हैं सभी साथ
फिर तनहा हूँ
बहुत कुछ खो चुका
जो मेरा ना था
लगता था अपना
आज उसके बिना
तनहा हूँ
हैं जानते पहचानते सब मुझे
इस भरे बाजार में
फिर मैं तनहा हूँ
एक निगाह जिस पर पड़ती है
झुककर सलाम करतें है
मेरा और मेरे हुक्म का
एहतराम करतें है
फिर मैं तनहा हूँ
किसी बात की फिक्र नहीं
एक तेरे सिवा
हूँ सफ़र में हैं सभी साथ
फिर मैं तनहा हूँ ।
.............आनंद विक्रम ........
फिर भी तनहा हूँ
है सभी साथ दोस्त
फिर तनहा हूँ
बेतहाशा दर्द के मानिंद
हैं तनहाइयाँ मेरी
राह चलता हूँ
सफ़र में हैं सभी साथ
फिर तनहा हूँ
बहुत कुछ खो चुका
जो मेरा ना था
लगता था अपना
आज उसके बिना
तनहा हूँ
हैं जानते पहचानते सब मुझे
इस भरे बाजार में
फिर मैं तनहा हूँ
एक निगाह जिस पर पड़ती है
झुककर सलाम करतें है
मेरा और मेरे हुक्म का
एहतराम करतें है
फिर मैं तनहा हूँ
किसी बात की फिक्र नहीं
एक तेरे सिवा
हूँ सफ़र में हैं सभी साथ
फिर मैं तनहा हूँ ।
.............आनंद विक्रम ........
4 comments:
वाह !!! बहुत प्रभावशाली सुंदर अभिव्यक्ति !!!
नववर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
recent post : भूल जाते है लोग,
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
Wah...
बेहद सुन्दर रचना | शुभकामनायें |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
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